शनिवार, 11 फ़रवरी 2017

साहित्यश्री-8/1/आशा देशमुख

विषय .....ठिठुरन
विधा ..नवगीत
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राह में ठिठुरन दिखी तो
याद आई वो कहानी |
पूस की इक रात थी
हल्कू गया था खेत में
तन समूचा सुन्न था पर
कर्ज केवल चेत में |
आस कम्बल पर टिकी थी
आसरा बस था किसानी |
बेधड़क चलती हवाएँ
बर्फ की चादर लिए ,
कर्ज ही केवल महाजन
शीत ने उसको दिए ,
मार सर्दी की पड़ी
दुबकी रही बेबस जवानी |
क्यों कहर ढाते रहे तुम
शीत अपने राज में ,
आग पल में राख होती
बर्फ बैठी छाज में ,
क्रूर सा चेहरा लिए
हँसती रही केवल हिमानी |
कौन जीता कौन हारा
हौसले के जंग में ,
खेत पर मिट्टी गिराकर
श्वास दौड़ी अंग में ,
हो गए आजाद बादल
पत्थरों को सौप पानी |
राह में ठिठुरन दिखी तो
याद आई वो कहानी |
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आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
29 .1.2017 रविवार

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