हम तो हमेशा चैन अमन की दुआ करते हैं,
अरे कौन हैं जो शांति में,खलल डाल रहे हैं।
हमें दुश्मनो की जरूरत ही क्या है अब ,
जो खुद ही आस्तीन के सांप पाल रहे हैं।
घर के भेदियों की कारस्तानी के कारण,
कामयाब हमारे दुश्मनो के हर चाल रहे हैं।
अरे माना की सरहदों पर जंग आम है,
पर यहाँ आँगन भी लहू से लाल रहे हैं।
यहाँ तो हर चेहरा नकाब से ढका हुआ है,
गीधड़ो के जिस्म में भी शेरो के खाल रहे है।
आज वही हमारे सीने पर गोली दागते है,
जिनकी सलामती के लिए हम ढाल रहे हैं।
आज दुश्मनी की हर हद पार कर गये हैं,
जो दोस्ती जमाने के लिए मिसाल रहे हैं।
मतलब के लिये देशभक्ति की बातें करते हैं,
जो भारत माँ को बेचने वाले दलाल रहे हैं।
मगर ऐसे हालातों के बीच......
धन्य हैं वो नौजवान जो है सरहद पर,
जो देश के लिये जान जोखिम में डाल रहे हैं।
जिन पर माँ के हाथो से लगता है टीका,
सदा ही गर्व से ऊँचे वीरों के भाल रहे हैं।
हर शख्श हमेशा फक्र करता है उनपर,
जो हमारे देश के दुश्मनो के काल रहे हैं।
अपने देश का कर्ज चुकाने हरदम तैयार,
बेमिसाल सीमा पर डटे माँ के लाल रहे हैं।
गर्व करते है माँ बाप बेटे की शहादत पर,
मानों किसी यज्ञ में वो आहुति डाल रहे हैं।
कभी शहीदों के घर वालो से पुछो दोस्तों,
कि वो खुद को ऐसे में,कैसे सम्हाल रहे हैं।
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डी आर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग)