विषय--"घर का भेदी लंका ढाये"
गीत
गीत
अपने मन की बात कहो अब
हम किसको बतलायें
जिसको हमने अपना समझा
ओ तो हुए पराये।
जाके दुश्मन के खेमे में
सारी बात बताये..
घर का भेदी लंका ढाये।
हम किसको बतलायें
जिसको हमने अपना समझा
ओ तो हुए पराये।
जाके दुश्मन के खेमे में
सारी बात बताये..
घर का भेदी लंका ढाये।
हम दुश्मन से हार सके न
अपनों से ही हारे हैं
उस पर कैसे तीर चलायें
जो अपने को प्यारे हैं
रण भूमि में खड़ा ओ आगे
कैसे कदम बढ़ायें...
घर का भेदी लंका ढाये।
अपनों से ही हारे हैं
उस पर कैसे तीर चलायें
जो अपने को प्यारे हैं
रण भूमि में खड़ा ओ आगे
कैसे कदम बढ़ायें...
घर का भेदी लंका ढाये।
कोई परिंदा मार न सकता
पर अपने ठिकाने में
जब तक भेदी भेद न खोले
दुश्मन के आशियाने में
ऐसे भेदी ढूंढ ढूंढ के
पहले फांसी चढ़ायें...
घर का भेदी लंका ढाये।
पर अपने ठिकाने में
जब तक भेदी भेद न खोले
दुश्मन के आशियाने में
ऐसे भेदी ढूंढ ढूंढ के
पहले फांसी चढ़ायें...
घर का भेदी लंका ढाये।
रावण बड़ा प्रतापी था ओ
और सिद्ध था योगी
ताकत तो भरपूर भरा था
पर मन से था भोगी
एक विभीषण के कारण ओ
अपनी प्राण गवाये...
घर का भेदी लंका ढाये।
और सिद्ध था योगी
ताकत तो भरपूर भरा था
पर मन से था भोगी
एक विभीषण के कारण ओ
अपनी प्राण गवाये...
घर का भेदी लंका ढाये।
दिलीप वर्मा
बलौदा बाज़ार
9926170342
बलौदा बाज़ार
9926170342
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