मंगलवार, 1 नवंबर 2016

साहित्यश्री-4//10//दिलीप पटेल

" एक कदम उजाले की ओर "
**************************************नित नविन शालीन पथ पर
चलना है हम सबको मिलकर
अब आ गई है क्रांती की दौर ....
आओ मिलकर साथ बढायें, एक कदम उजाले की ओर !!
राहों में मुश्किल तुफाने को
या सागर की ऊफानो को
लांघनी हर शरहदो को, काले बादल घटा घनघाेर....
आओ मिलकर साथ बढायें एक कदम उजाले की ओर !!
छुट न जावें कोई अपना
टूट न जावें कोई सपना
दिशाओं में नही भटकेंगे , थाम कर एकता की डोर.....
आओ मिलकर साथ बढायें, एक कदम उजाले की ओर !!
दीन दूखी या कोई बेसहारा
बनेंगे हम सबका सहारा
कोई भी न भूखा सोने पाये , खायेंगे रोटी बांट कर कौंर....
आओ मिलकर साथ बढायें, एक कदम उजाले की ओर !!
मिटेगी मन की अंधियारी
महकेगी फूलों की क्यारी
अंत होती है निशा की , पा करके रवि का भोर....
आओ मिलकर साथ बढायें, एक कदम उजाले की ओर !!
दृढता की संकल्प होगी
अब न कोई विकल्प होगी
मन में है विस्वाश हमारा , हम जा रहे है सफलता की ओर.....
आओ मिलकर साथ बढायें, एक कदम उजाले की ओर !!
दिलीप पटेल बहतरा, बिलासपुर
मो.नं.-8120879287

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