मंगलवार, 1 नवंबर 2016

साहित्यश्री-4//11//ज्ञानु मानिकपुरी"दास"

'उजाले की ओर हर कदम हो'
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मुश्किल हो राहे फिरभी चलना होगा
अंधेरों में बनके दिया जलना होगा।
मत हारना तू! ऐ मुसाफिर
हर दर्द को चुपचाप सहना होगा।
दिल मेरा बरसों से प्यासा है
मिल जाये उम्मीद की बूँद आशा है।
लड़ जाऊ मैं भी अंधेरो से
'उजाले की आस' बस जरा सा है।
हवा बनकर हर राह चलना होगा
बिछड़े हुये लोगों से मिलना होगा।मत.....
जिंदगी की कितनी अजीबो रंग है
लोगों का भी अपना-अपना ढंग है।
मिलना बिछड़ना यहाँ रीत है'प्यारे'
हर पल जिंदगी एक जंग है।
यहां हर मौसम में ढलना होगा
उसी का दुनिया अपना होगा।मत......
जिंदगी में खुशियां हो चाहे गम हो
कितनी भी। घोर चाहे तम हो।
कुछ हासिल करना चाहते हो गर"ज्ञानु"
'उजाले की ओर हर कदम हो'
जिंदगी की हर पहलु को समझना होगा
जिंदगी जीने के लिए पल पल मरना होगा।मत..
ज्ञानु मानिकपुरी"दास"
चंदेनी कवर्धा

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