विधा-विधा रहित,,
नोट की चोट , के लिए एक प्रयास
शुभ प्रभात
लगे न किसी को नोट की चोट ,
देखो केसे निकल रहा ,
या गरीबो की इज्जत से खेल रहा,
कतार में फटी लंगोटी धारी दिख रहा
नोट की चोट , के लिए एक प्रयास
शुभ प्रभात
लगे न किसी को नोट की चोट ,
देखो केसे निकल रहा ,
या गरीबो की इज्जत से खेल रहा,
कतार में फटी लंगोटी धारी दिख रहा
बस कुछ अदद नोट लिए ,
लोगो की तीखी नजरो से छिपाए हुए
इधर उधर कसमसाये हुए
अधमरा सा सताए हुए
लोगो की तीखी नजरो से छिपाए हुए
इधर उधर कसमसाये हुए
अधमरा सा सताए हुए
नोट बंदी के खेल में ,
कुछ तो सुनहरा चल रहा ,
अरे जो दस का मारा पेट्रोल,,
उस पर बाजी लगा दिए ,,
जो दस लुटे उस पर भरोसा कर लिए ,,
मतलब ,,,चोर चोर मोसेरे जी ,
सदन में देखो कुत्ते बिल्ली की लढाई जी ,
कुछ तो सुनहरा चल रहा ,
अरे जो दस का मारा पेट्रोल,,
उस पर बाजी लगा दिए ,,
जो दस लुटे उस पर भरोसा कर लिए ,,
मतलब ,,,चोर चोर मोसेरे जी ,
सदन में देखो कुत्ते बिल्ली की लढाई जी ,
ये करवा रहे विवाह जी ,
मात्र ढाई की दे रहे सौगात जी ,
क्या ढाई में जलता अगर बत्ती जी
दहेज़ भूलो, खिलावोगे क्या घास फुंस जी ,
मात्र ढाई की दे रहे सौगात जी ,
क्या ढाई में जलता अगर बत्ती जी
दहेज़ भूलो, खिलावोगे क्या घास फुंस जी ,
जिनके किये वारे न्यारे ,
क्या वे लगे कतार में जी
नाहक अन्नदाता को भी किये परेशांन ही जी
निकालना चाहा आपने
क्या वे लगे कतार में जी
नाहक अन्नदाता को भी किये परेशांन ही जी
निकालना चाहा आपने
निकलना चाहा आपने
वो कालाधन ही जी
पर देखो निकल रहा ,
सिर्फ गरीबोका , मध्यमो का असुरक्षित धन जी ,
समय असमय के लिए,
जो किया था संचय जी
फटी लंगोटी में भी छिपाया था,
क्या वो काला धन जी,
सोचा था ,जिनसे छिपाया था
क्या कहेंगे वे चार लोग जी
अरे अरे इसके पास बस इतना ही जी ,
वो कालाधन ही जी
पर देखो निकल रहा ,
सिर्फ गरीबोका , मध्यमो का असुरक्षित धन जी ,
समय असमय के लिए,
जो किया था संचय जी
फटी लंगोटी में भी छिपाया था,
क्या वो काला धन जी,
सोचा था ,जिनसे छिपाया था
क्या कहेंगे वे चार लोग जी
अरे अरे इसके पास बस इतना ही जी ,
नवीन कुमार तिवारी ,, २३.११.२०१६
एल आई जी १४ /२ नेहरू नगर दुर्ग
४९००२० .....मो न . ९४७९२२७२१३
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