मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

साहित्यश्री-6//1//दिलीप वर्मा

विधा हाइकु ।
नोट का चोट 
उतरा है लंगोट
बिना सपोट।
मोदी के चाल
किया है बुरा हॉल
मचा बवाल।
नोट है बन्द
बाजार हुवा तंग
विपक्षी दंग।
देश है साथ
लिए हाथ में हाथ
नेता अनाथ।
लम्बी कतार
संग है सरकार
पप्पू बेकार।
पप्पू है फेल
नोट का देख खेल
बोल बे मेल।
माया ममता
कांग्रेस या समता
देखो जनता।
बात तू मान
केजरी परेसान
मोदी महान।
छिड़ी है जंग
जनता देख दंग
नेता के रंग।
गरीब खुश
कुबेर परेसान
नेता हैरान।
अर्जुन एक
कौरव है अनेक
निशाना चेक।
मोदी के मन
निकला काला धन
कुबेर सन्न।
तीर है एक
निशाने पर अनेक
है बिना टेक।
दिलीप खुश
फैसला है अचूक
जनता लूक। 

-दिलीप वर्मा

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