विषय-‘‘नोट का चोट‘‘
विधा-विधा रहित,,
नोट की चोट , के लिए एक प्रयास
विधा-विधा रहित,,
नोट की चोट , के लिए एक प्रयास
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कब से निशाने पे था
तीर तरकश से छूट गया
छलकने लगे
बरसने लगे
पाप का घडा
शायद! फूट गया
तीर तरकश से छूट गया
छलकने लगे
बरसने लगे
पाप का घडा
शायद! फूट गया
कह कहे हैं कहीं
कहीं मातम का दौर
नोट का चोंट ऐसे पड़ा
खिसक गया सिरमौर
कहीं मातम का दौर
नोट का चोंट ऐसे पड़ा
खिसक गया सिरमौर
हिसाब-किताब
भूलने लगे
कुछ न बन सका
तो मंडप में लड़ने लगे
भूलने लगे
कुछ न बन सका
तो मंडप में लड़ने लगे
जनता बेहाल
सरकार दे
ताल पे ताल
नाच ले प्यारे
कालिख छिपाने
रंग चढेगा धवल
सरकार दे
ताल पे ताल
नाच ले प्यारे
कालिख छिपाने
रंग चढेगा धवल
उल्टी गंगा
बही है जब-जब
संतुलन
डगमगाया है तब-तब
बही है जब-जब
संतुलन
डगमगाया है तब-तब
दो-चार दिन की
तबाही आई है
ऐसे में ही तो
धरा मुस्कुराई है
तबाही आई है
ऐसे में ही तो
धरा मुस्कुराई है
सिर्फ चंद सिक्कों से
जिंदगी नहीं चलती
सिर्फ दो-चार दिन में
जिंदगी थम नहीं जाती
नोट का चोंट
जिंदगी जीने का
सलीका सिखाया है
जिंदगी नहीं चलती
सिर्फ दो-चार दिन में
जिंदगी थम नहीं जाती
नोट का चोंट
जिंदगी जीने का
सलीका सिखाया है
प्यारे!नियम तो बना दिए
परिवर्तन प्रकृति का है नियम
जो न हिले वज्रघात से
क्या? अंदर इतना है संयम
परिवर्तन प्रकृति का है नियम
जो न हिले वज्रघात से
क्या? अंदर इतना है संयम
कुछ भी हो
कुछ को हंसा गई
कुछ को रूला गई
कुछ को हंसा गई
कुछ को रूला गई
नोट का चोंट निशाने पे है
सरकार की नजर खजाने पे है
नकली नोट पे असली चोंट
महज कागज का टुकड़ा बनाने पे है
सरकार की नजर खजाने पे है
नकली नोट पे असली चोंट
महज कागज का टुकड़ा बनाने पे है
अंत में कुछ अलग कहता हूँ
नोट का चोंट कब तक असर करेगा
हो मन में खोट फिर तिजोरी भरेगा
हो मन में खोट फिर तिजोरी भरेगा
--श्री एस एन बी साहब
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