मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

साहित्यश्री-7//4//चोवा राम "बादल"

विधा---*रोला छंद*
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1
मिटे आतंकवाद ,शांति का ध्वज लहराये ।
निर्दोषों का खून, बहे ना जन घबराये ।
आते सीमा लाँघ, यहाँ आतंकी पाकी।
उनके घर जा मार, भरेंगे ऋण जो बाकी ।
2
बैठे जो जयचंद,देश के भीतर छुपकर ।
देते हैं संताप, खार सा हरदम चुभकर ।
जब तक हैं वो शेष, करेंगे नित बर्बादी।
कंटक हो अब दूर, घटे कुछ तो आबादी।
3
हो गया बहुत पाठ, भूमिका सेना को दो।
उनके दोनों हाथ, खोल रण लड़ने तो दो ।
गरजेगा जब पाक, साफ़ वो हो जायेगा ।
हर्षित होगा विश्व, धरा में सुख छायेगा ।
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निवेदक-----चोवा राम "बादल"
हथबंद 26-12-2016

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