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मंगलवार, 20 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//14//*कन्हैया साहू "अमित" *

*साहित्य श्री~1 हेतु प्रयास*
*************@*************
हे गजानन्द ,गौरीसुत गणनायक।
सुर मुनि जन वंदित अधिनायक।।
दीन हीन के तुम सर्वशक्ति,
भक्तों के तुम हो प्रथम भक्ति।
उमाशंकर के तुम लाल न्यारे,
रिद्धि सिद्धि के तुम प्राण प्यारे।।
बल,बुद्धि,विद्या सकल सुख दायक।
हे गजानन्द ,गौरीसुत गणनायक।।१
प्रथम निमंत्रण गिरजापति नंदन,
कर जोङ करते हम अभिनंदन।
सफल करो सकल काज हमारे,
शिवशंकरसुत शुभगुण नाम तुम्हारे।।
विघ्नहर्ता,मंगलकर्ता रहो सदा सहायक।
हे गजानन्द ,गौरीसुत गणनायक।।२
जय जन हितकारी,हे मंगलकारी,
कृपासिन्धु तुम भक्तन उपकारी।
करो निवास देवा "अमित" हियप्रदेश,
संताप सारे सिमटे,मिटे मेरा क्लेश।।
रुप अनूप प्रभु मन मन्दिर लायक।
हे गजानन्द ,गौरीसुत गणनायक।।३
सुर मुनि जन वंदित अधिनायक।।
हे गजानन्द ..........................
*************@*************
*कन्हैया साहू "अमित" *
शिक्षक~भाटापारा
जिला~बलौदाबाजार (छ.ग.)
*************©®*********

शनिवार, 17 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//13//महेश मलंग

साहित्य श्री हेतु एक मुक्तक
वरद विनायक मंगलमूर्ती मंगल करो गणेश |
विकट विघ्न को हरने वाले संकट हरो गणेश ||
दया तु रखना सब संभव है वांछा बचे ना शेष ,
गजानना तु नव निधियो से हमको वरो गणेश || 
महेश मलंग Pandariya

साहित्यश्री-1//12//जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

प्रथम पूज्य गणेश जी
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हे ! प्रथम पूज्य गणेश जी।
जग की हालत देख जी।
अपने दुख दूर करने को,
दे रहे है औरो को क्लेश जी।
मातृ वचन निभाने को,
शीश अपने कटा दिये।
माँ - बाप चारो धाम है,
लगा परिक्रमा बता दिये।
पर ये मनचले
मन के मारे मानव,
माता - पिता को ही ,
घर से भगा दिये।
कोई कहाँ पढ़ता है?
लिखे सत लेख जी।
हे!प्रथम पूज्य गणेश जी...।
सही राह में कोई,
चल कहाँ रहे है?
उपकार करने घर से
कोई निकल कहाँ रहे है?
धन वैभव की लालच में,
लोग लगे हुए है,
सत की दीपक आखिर,
जल कहाँ रहे है?
फांस रहे है एक दूसरे को,
स्वार्थ की जाल फेक जी।
हे!प्रथम पूज्य गणेश जी....।
गली गली सब रखे आपको,
पर दिल में कोई न रख पाया।
दानवो का गुणगान करे जन,
बस भल मानुष से सक पाया।
हे!ज्ञान बुद्धि के दाता गणेश,
जग के तुम रखवार।
पीकर मोह माया का पेय जन,
भक्ति रस न चख पाया।
फंसकर मैं की जाल में,
बाँट रहे है ईर्षा द्वेष जी।
हे!प्रथम पूज्य गणेश जी........।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

बुधवार, 14 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//11//ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

"जय गणेश देवा"
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मंगल कर्ता,विघ्न हर्ता,जय गणेश देवा।
एक दन्ता, हे दयावन्ता,जय गणेश देवा।
चार भुजा धारी,मूषक सवारी,जय गणेश देवा।
शम्भु सुतवारी,जग बलिहारी,जय गणेश देवा।
होती पहली पूजा,और न कोई दूजा,जय गणेश देवा।
गौरी गणेशा,मेटे कलेशा,जय गणेश देवा।
प्रिय है मोदक,शोक विनाशक,जय गणेश देवा।
चढ़ाऊ फूल पान,देदो वरदान,जय गणेश देवा।
नयन दिये अंधन को,धन दिये निर्धन को,जय गणेश देवा।
स्वस्थ रखे तनको, पुत्र दिये बांझन को,जय गणेश देवा।
पहली तुझे मनाऊ,मंगल गाऊ, जय गणेश देवा।
उतारूँ आरती, 'दास' की है विनती,जय गणेश देवा।
न हो कोई बेसहारा,हो सदा भाईचारा,जय गणेश देवा।
न दुश्मनी हो,सबकी सबसे बनी हो,जय गणेश देवा।
बस इतना काम करदे,दिलो में प्यार भरदे,जय गणेश देवा।
नेक नियत इंसान करदे,माँ बाप को भगवान करदे,जय गणेश देवा।
न हो कही आतंक की कहर,आये नफरत कही न नजर,जय गणेश देवा।
शांति और अमन हो,ऐसा मेरा वतन हो,जय गणेश देवा।
ज्ञानु मानिकपुरी "दास"

रविवार, 11 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//10//आशा देशमुख

विषय ...प्रथम पूज्य गणेश
प्रार्थना सुन लो प्रभो हे अब जगत से तम हरो 
एकदंता शुभनियंता
शिवतनय गणनायका ,
शोकहर्ता भाग्यकर्ता
रिद्धि-सिद्धि प्रदायका |
कोटि रवि सम हे प्रभाकर ,
ज्ञान से हर धीं भरो |
प्रार्थना सुन लो प्रभो हे अब जगत से तम हरो |
गुणसदन हे गजबदन
शुभ शांति बुद्धिनिकेतना ,
दंडधारी शुभंकारी
प्राण मेधा चेतना ,
आदि पूजित देव देवा
स्वस्ति शुभ जग में करो |
प्रार्थना सुन लो प्रभो हे अब जगत से तम हरो |
सूर्यकर्णा विरद चरणा
श्री शुभम मुंदाकरम,
धूम्रलोचन भयविमोचन
भुवनपति गणनायकम,
दुःख-दुविधा राग पूरित
मनस के दूषण क्षरो |
प्रार्थना सुन लो प्रभो हे अब जगत से तम हरो |
***********************************************
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
छत्तीसगढ़

शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//9//गोपाल चन्द्र मुखर्जी

" सर्वाग्र पूज्यते गणेश "
सर्व अग्रपूज्य शिवपुत्र गणेश 
लम्बोदर गजानन विघ्नहंता लोकेश,
दीर्घकर्ण सुक्ष्मदर्शी निष्पक्ष विचारक
चतूर्भूज गदाधारी महावली विनायक।
सिन्दुर शोभाकर मोदकप्रिय वीरेश
मूसकसवार मातरीभक्त बक्रतुण्ड ब्रह्मेश।
धीरगति स्थीरबुद्द्हि एकदन्त देवेन्द्र
सिद्धि हेतु पूजनरत ब्रह्मा विष्णु महेन्द्र।
अमंगलहारी शंख चक्रधारी हेरम्ब
सर्व जातीधर्म समन्वयक सर्वाग्र प्रणम्य॥
*****
( गोपाल चन्द्र मुखर्जी
४४,सूरजमुखी
राजकिशोर नगर
बिलासपुर (छ.ग.)
मोबाइल नं. ०९८२७१८६७४४ )

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//8//चैतन्य जितेन्द्र तिवारी

...हे गणपती महराज...........
""""""""""""""*"""""""*""""""""""""
प्रथम पूजन तुमको ही हे गणपती महाराज
प्रथम निमंत्रण आपको हे पार्वती गणराज
एक दन्त वक्रतुण्ड सुपकर्ण गज महाकाय
शिवसुताय गजानन हे पार्वती प्रिय पुत्राय
मंगलकरण विघ्नहरण हे गौरीसुत गणेशाय
ऋद्धि सिद्धि संग विराजौ हे शैलप्रिय पुत्राय
निर्विघ्न करौ सब कार्य हे विघ्नेश्वर दो वरदाय
अरज हमरी सब पूर्ण हो हे गजवदन लम्बोदराय
भादो मॉस की शुक्ल चतुर्थी जनम भयो महाराज
शिवशक्ति उर आनंद बसे जब आप भयो गणराज
अपने भक्त दुखियन के दुःख हरौ सब सुंदर आज
मनवांछित मनोकामना पूर्ण करौ सब सुंदर काज
CR
चैतन्य जितेन्द्र तिवारी
थान खम्हरिया(बेमेतरा)

साहित्यश्री-1//7//आचार्य तोषण

जय गणेश गणपति गणराज होती सर्वप्रथम पूजा
बल बुद्धि ज्ञान दाता तुम नहीं कोई जग मे दूजा
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चढे पान फूल फल तुम पर खाते लड्डू मोतीचूर
आस पूर्ण हो सब भक्तों के सबके दुख करते दूर
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पार्वती के लाडले तुम शिव शंकर के दुलारे
रिद्धि सिद्धि संगिनी शुभ लाभ आंखों के तारे
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कर प्रदक्षिणा माता पिता के प्रथम पूजाये जग में
आने ना देना संकट कभी भगवन भक्तों के मग में
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भाव न जानू भक्ति न जानू फिर भी तुम्हें मनाऊं
सेवा करूं निशदिन देवा चरणों पे मांथ नवाऊं
––----------------------------------------------
आचार्य तोषण
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़
४९१७७१
चलितभाष
९६१७५८९६६७

साहित्यश्री-1//6//हेमलाल साहू

विषय--प्रथम पूज्य गणेश
हे गणपति जी आपको, मेरा प्रथम प्रणाम।
भक्तन के संकट हरो, सफल करो सब काम।
सफल करो सब काम, आपके शरणे आये।
रिद्धि सिद्धि के संग, हमारे मन को भाये।।
दो प्रभु सबको ज्ञान, रहै न माया प्रभु जी।
जग में पूजे प्रथम, आपको हे गणपति जी।।


सबका हर्ता विघ्न है, मंगल करते काज।
शरण सभी आय है, मेरे प्रभु गणराज।।
मेरे प्रभु गणराज, करै हम अर्पण तन मन 
मनमें है प्रभु आस, आपका पाये दर्शन।।
पार्वती के लाल, पूत हो प्रभु शंकर का।
मूसक वाहन साथ, विघ्न है हर्ता सबका।।
-हेमलाल साहू
ग्राम - गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़ जिला बेमेतरा
(छत्तीसगढ़) मो.9907737593

सोमवार, 5 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//5//लक्ष्मी नारायण लहरे

विषय- ‘प्रथम पूज्य गणेश‘
------------------------
मंगलकर्ता ,विघ्नहर्ता प्रथम पूज्य गणेश
आरती उतारूँ ,मंगल गीत गाँउ जय हो ... गणेशा जी
घर -आंगन में आयी खुशियाँ
फूलो से सजी है थालियाँ
सुबह- शाम बज बजे रहे विजय घंट
सुर -ताल में झूम रहे भक्त लेके तुम्हारा नाम ....बोलो श्री गणेशा
दुखियो के दुःखहर्ता ,मंगलकर्ता प्रथम पूज्य गणेश
आरती उतारूँ ,मंगल गीत गाँउ जय हो ... गणेशा जी
मूरत प्यारी ,सुरत प्यारी
एक दन्त मुसे की है सवारी
विघ्नहर्ता ,मंगलकर्ता- दुखियो के दुःखहर्ता प्रथम पूज्य गणेश
आरती उतारूँ ,मंगल गीत गाँउ जय हो ... गणेशा जी
दिन - दुखियो की बिगड़ी बना दो
अज्ञानी को ज्ञानी बना दो
जो कोई पूजे
सच्ची मन से
उनकी इक्छा होती पूरन
हे मंगलकारी विध्नहर्ता सुन लो पुकार
दुखियो के दुःखहर्ता
सबकी नैया पार लगा दो
जो भटके है राह दिखादो
गौरी -शंकर के लाला जय हो ....गणेशा जी...
मंगलकर्ता ,विघ्नहर्ता प्रथम पूज्य गणेश
आरती उतारूँ ,मंगल गीत गाँउ जय हो ... गणेशा जी
घर -आंगन में आयी खुशियाँ
फूलो से सजी है थालियाँ
सुबह- शाम बज बजे रहे विजय घंट
सुर -ताल में झूम रहे भक्त लेके तुम्हारा नाम ....बोलो श्री गणेशा
० लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल, कोसीर सारंगगढ़

साहित्यश्री-1//4//दिलीप वर्मा

विषय--प्रथम पूज्य गणेश
भोले का ओ लाल है,प्रथम पूज्य गणेश।
श्रद्धा से पूजन करो,काटे सभी कलेश।। 
काटे सभी कलेश,कि ओ है गजमुख धारी।
लम्बोदर गणनायक,पूजन प्रथम अधिकारी।।
इसके नाम हजार,विघ्न के हरता बोले।
मोदक इनको भाय,पिता शिव बम बम भोले।।
दिलीप वर्मा
बलौदा बाजार

शनिवार, 3 सितंबर 2016

साहित्यश्री-1//3//गुमान प्रसाद साहू

करते हैं वंदन हम सब तुम्हारे,
हे प्रथम पूज्य गणेश।
आये हैं शरण में हाथ पसारे,
काटो हमारे सब क्लेष।
शिव पार्वती के तुम हो दूलारे,
करते हो मूषक सवारी।
एकदंत तुम गज आनन धारे,
मोदक है तुमको प्यारी।
लम्बोदर तुम हो मंगलकर्ता,
कहलाते हो तुम्ही विघ्नेश।
करते हैं वंदन हम सब तुम्हारे,
हे प्रथम पूज्य गणेश।
सबके भाग्य के तुम हो विधाता,
रिद्धी सिद्धी के तुम स्वामी हो।
बल और बुद्धि के तुम हो दाता,
हम अज्ञानी तुम अंतर्यामी हो।
सबसे पहले पूजते है तुमको,
देवो में तुम हो विशेष।
करते हैं वंदन हम सब तुम्हारे,
हे प्रथम पूज्य गणेश।
बढ़ रहा है पाप आज धरा पर,
बढ़ रहे है दूराचारी।
बोझिल होती जा रही ये धरती,
पापीयो से देवा भारी।
लेके जनम फिर से आ जाओ,
बदलो इसका परिवेश।
करते हैं वंदन हम सब तुम्हारे,
हे प्रथम पूज्य गणेश।
जिसने जो मांगा उसने वो पाया,
शरण में तुम्हारे आके।
हम भी आये है चरणो में तुम्हारे,
देवा झोलीया फैलाके।
भवसागर से नैय्या पार लगादो,
रहे मन मे न कोई क्लेष।
करते हैं वंदन हम सब तुम्हारे,
हे प्रथम पूज्य गणेश।
रचना :- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम-समोदा ( महानदी )
मो. :- 9977313968
जिला-रायपुर छग

साहित्यश्री-1//2//चोवा राम वर्मा "बादल"

प्रथम पूज्य श्री गणेश
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प्रथम पूज्य श्री गणेश तुम्हारे,चरणों में शीश झुकाता हूँ।
शब्द-सुमन श्रद्धा में पिरो,भावों का हार पहनाता हूँ।
स्वीकारो हे विघ्नहर्ता,शुभ कर्ता,
सर्व श्री प्रदाता ।
त्रिलोकी शिव शंभु-जगदम्बा,
जिनके पितु अरु माता ।
आओ विराजो हृदय आसन में,करजोर तुम्हे बुलाता हूँ।
प्रथम पूज्य श्री गणेश तुम्हारे,चरणों में शीश झुकाता हूँ ।1।
अज्ञानी हूँ, अभिमानी निर्धन हूँ,
पर सेवा का जज्बा है ।
मेरे घर आँगन में स्वामी ,
दुःख दर्दों का कब्जा है ।
क्षमा करो हे अंतर्यामी , मैं मुर्ख तुम्हें समझाता हूँ
प्रथम पूज्य श्री गणेश तुम्हारे,चरणों में शीश झुकाता हूँ।।2।।
मन-मूषक का करो सवारी,
चित चंचल है बहती वारि ।
हे गजवदन, उदर है भारी ।
सुना हूँ तुम्हें मोदक है प्यारी ।
अपने जीवन के मधुर पलों का, छप्पन भोग लगाता हूँ।
प्रथम पूज्य श्री गणेश तुम्हारे,चरणों में शीश झुकाता हूँ ।।।3 ।।।
हो प्रसन्न हे ज्ञान के दाता,
सब के भाग्य विधाता ।
देखो नक्सल आतंक से पीड़ित,
है प्यारी भारत माता ।
स्वर्ग धरा पर असुरों का डेरा,कश्मीर तुम्हें दिखलाता हूँ ।।।।4 ।।।।
प्रथम पूज्य श्री गणेश तुम्हारे,चरणों में शीश झुकाता हूँ ।4
("साहित्य श्री" हेतु छग साहित्य दर्पण में समर्पित )
रचनाकार-----चोवा राम वर्मा "बादल"
हथबंद

साहित्यश्री-1//1//देवेन्द्र कुमार ध्रुव

शीर्षक -प्रथम पूज्य गणेश ...
श्री गणेश जी प्रथम पूज्य कहलाते है
तभी तो देवों में,सबसे पहले पूजे जाते है
आगमन उनका, शुभफल दायक है
घर में अपने भी आने को,उन्हें मना लेना ....
सबको भाई चारा का ,सन्देश देते है
माता पिता की सेवा का ,उपदेश देते है
माँगना प्रभु से,सबके लिये सुख शांति
कहना ,हमारा दुःख कलेश मिटा देना ....
आँखो में ,उनका सुंदर मुखड़ा बसा लेना
फिर दिल से,उनका जयकारा लगा लेना
सब कष्टो को, पल में हर लेंगे विघ्नहर्ता
बस उनको,अपना सारा दुखड़ा सुना देना ..
वो तो भक्तो के मन की हर बात, जानते है
सब रहते है बेचैन उनसे मिलने को, जानते है
वो दौड़े चले आते है ,हरबार भक्तो के घर
तुम अपने घर को,उनके लिए सजा लेना..
गणपति जी तो, रिद्धि सिद्धि के दाता है
बड़े ही ज्ञानी है,सब वेदों के ये ज्ञाता है
मिलजुल कर सब आरती करना उनकी
घण्टा ध्वनि प्यारी, साथ शंख बजा देना ...
बड़े भोले है ,नही जानते वो सख्ती करना
जितनी शक्ति हो ,तुम उतनी भक्ति करना
बस श्रद्धा से, जो हो वो तुम अर्पण करना
मोदक और लड्डू का भोग लगा देना...
अपनी ख़ुशी के लिए उन्हें हर साल बुलाते हो
गणेश चतुर्थी पर सब उन्हें घर घर बिठाते हो
बसआस्था और विश्वास कभी ना खोना तुम
भले आखिर में उनकी मूर्ति पानी में बहा देना..
रचना
देवेन्द्र कुमार ध्रुव (डीआर)
फुटहा करम बेलर
जिला गरियाबंद (छ ग )